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अब आसान होगा गिद्धों का संरक्षण, मंत्रालय ने इस ड्रग के इस्तेमाल पर लगाया बैन

हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निमेसूलाइड (Nimesulide) और इसके फॉर्मूलेशन को बैन कर दिया है। इस खास तरह के ड्रग को खत्म हो रहे गिद्धों को बचाने के लिए लिया गया है।

Nimesulide Banned: दुनिया में कई तरह की बीमारियों का खतरा देखने के लिए मिल रहा है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निमेसूलाइड (Nimesulide) और इसके फॉर्मूलेशन को बैन कर दिया है। इस खास तरह के ड्रग को खत्म हो रहे गिद्धों को बचाने के लिए लिया गया है। बताया गया कि, सुरक्षा के नजरिए से इसका इस्तेमाल सही नहीं था। बता दें कि, अब इस ड्रग का ना तो इस्तेमाल किया जाएगा और ना ही ड्रिस्ट्रीब्यूशन और इस्तेमाल होगा।

क्या है ये निमेसुलाइड नामक ड्रग

आपको बताते चलें कि, निमेसुलाइड नामक ड्रग एक नॉन स्टेरॉयडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) है। जहां पर अब तक इसका इस्तेमाल जानवरों के इलाज में किया जाता था। इसमें जानवरों में दर्द, सूजन, बुखार और रेस्पिरेटरी सिस्टम के इंफेक्शन के इलाज में होता है. इलाज के दौरान अगर किसी जानवर की मौत हो जाती है, तो उसे फेंक दिया जाता है. जिनके मृत शरीर को खाने वाले गिद्ध (vultures) और अन्य जीवों की मौत तक हो जाती है।

बताया गया कि, जानवरों में ऐसी दवा के इस्तेमाल से सिर्फ गिद्ध ही नहीं बल्कि उन मृत जानवरों के मांस खाने वाले अन्य पक्षियों और जानवरों पर भी इसके साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं। मंत्रालय का मानना भी है कि इन दवाईयों के मलैकजीकैम जैसे कई सुरक्षित विकल्प भी बाजार में उपलब्ध हैं. जिन्हें बढ़ावा देकर और ऐसी दवाईयों पर रोक लगाकर जानवरों को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

इससे पहले लग चुका है बैन

आपको बताते चलें कि, गिद्धों के संरक्षण को लेकर पहले भी कई तरह की दवाईयां प्रतिबंधित हो चुकी है। इससे पहले साल 2006 की बात की जाए तो, डाइक्लोफेनेक सोडियम और 2023 में कीटोप्रोफेन और ऐसेलोफेनक के फॉर्मूलेशन के इस्तेमाल पर रोक लग चुकी है। इसके अलावा डाइक्लोफिनेक सोडियम के मल्टी डोज वाइल को भी 13 साल पहले बैन करने का कार्य स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था। अब मार्केट में खास तौर पर सिंगल डोज वाइल ही उपलब्ध है। इधर गिद्धों की तादाद भी खत्म होने लगी है।1990 आते-आते गिद्धों की 99 प्रतिशत आबादी ही समाप्त हो गई. इसका पता लगाते-लगाते ही 10 साल गुजर गए है।

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