देश और दुनिया में कई हलचलों के साथ साल 2024 ख़त्म हो गया, लेकिन किसी भी साल का अंत सिर्फ़ एक तारीख़ का बदलना नहीं होता.
उस साल की घटनाएं और उठापटक आगामी वर्षों तक अपनी छाप छोड़ती हैं. इस वजह से 2024 में जो कुछ भी हुआ उसका असर हमें 2025 में भी दिखाई देगा.
पिछले साल, आधी दुनिया में चुनाव हुए और जिन सरकारों ने सत्ता संभाली या जिन नेताओं को चुना गया, उनके कार्यों का असर 2025 में और स्पष्ट होगा.
इन चुनावों के परिणाम और नई सरकारों के फै़सले न केवल उस देश की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी उनके प्रभाव से कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
अब सवाल यह है कि भारत में इस साल दिल्ली और बिहार में होने वाले अहम चुनावों या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे होने के क्या प्रभाव होंगे?
इसके अलावा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का शासन वापस लौटने पर इसके दुनिया भर में क्या प्रभाव होंगे? भारत के लिए, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में हो रहे घटनाक्रमों के क्या मायने होंगे?
स चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी, कूटनीतिक मामलों की विशेषज्ञ स्वस्ति राव, राजनीतिक विश्लेषक जय मृग और लंदन से वरिष्ठ पत्रकार शिवकांत शामिल हुए.
भारत के लिहाज़ से 2025 में क्या बदलेगा?
साल 2025 भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण साल माना जा रहा है और इसके कई कारण हैं. 2024 में हुए चुनावों ने कुछ ऐसे मुद्दे और घटनाएं सामने रखी हैं, जिनसे आगामी राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा असर पड़ेगा.
इन चुनावों के परिणाम ने राजनीतिक दलों को एक नया रास्ता दिखाया है और अब वे उसी फॉर्मुला पर काम करना चाहते हैं, जो आगामी चुनावों में उनकी स्थिति को मज़बूत कर सके.
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक प्रमुख पहलू है, जो 2024 के चुनावों में सामने आया. ख़ासतौर पर विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने काफ़ी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया.
इसका एक बड़ा उदाहरण महाराष्ट्र में देखा गया, जहां महिलाओं ने एक गेम चेंजर के रूप में उभरकर राजनीति को नई दिशा दी.
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने 2025 के संदर्भ में कुछ अहम बिंदुओं पर चर्चा की. उनके मुताबिक़ भाजपा और आरएसएस के बीच रिश्ते पुनः संतुलित होंगे.
उन्होंने कहा, “आरएसएस भाजपा से उतनी खुश नहीं है, लेकिन वह ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे राहुल गांधी और कांग्रेस मज़बूत हो जाएं.”
उनके मुताबिक़ 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दलित समुदाय में एक नई ऊर्जा और महिला वोटरों में अलग नज़रिया देखने को मिला है.
यह संकेत देते हैं कि दलित वर्ग अब अपनी आवाज़ बुलंद कर रहा है और इसका असर आगामी वर्षों में और भी अधिक दिख सकता है.
एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के बारे में उन्होंने कहा, “एआई बहुत तेज़ी से बढ़ेगा, जिससे हमारी ज़िंदगी में उथल-पुथल हो सकती है. इसके बारे में हम न तो अभी तक तैयारी कर पाए हैं और न ही इसके असर को ठीक से समझ सके हैं.”
कूटनीतिक मामलों की विशेषज्ञ स्वस्ति राव ने बताया कि आने वाले समय में भारत को कुछ अहम मुद्दों पर ज़्यादा ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा, “हमारा आर्थिक विकास जो कोविड के समय से अब तक बना हुआ है, उसे बनाए रखने के लिए हमें ठोस क़दम उठाने होंगे. यह हमारी आर्थिक स्थिरता और भविष्य के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है.”
स्वस्ति राव ने सुरक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव की बात की और कहा, “सुरक्षा मानचित्र बहुत तेज़ी से बदल रहा है. जब हम अपने एयरक्राफ्ट इंजन पर विचार कर रहे थे और यह तय कर रहे थे कि किस इंजन को हम विकसित करेंगे, तब तक चीन ने जेनरेशन-6 लड़ाकू विमान का अनावरण कर दिया. यह वो ही चीन है जो कुछ साल पहले 5 जेनरेशन के विमानों को विकसित करने के चरण में था.”
उन्होंने यह भी कहा, “जो फ़ैसले हमें लेने में 30 साल लगते हैं, हमें उन्हें कम समय में लेना पड़ेगा.”
राजनीतिक विश्लेषक जय मृग के मुताबिक़, 2025 में एक महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष कौन बनेगा?
जय मृग ने कहा, “जिस तरह से हमने महाराष्ट्र चुनाव में घटनाएं देखीं, उसने हमारी राजनीति के आयाम को बदल दिया है.”